नेहरू की जगह पटेल बने होते PM तो राममंदिर मुद्दा सुलझ जाता: गिरिराज सिंह
January 31, 2019, 01:25 PM
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि हिंदुओं के धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए और जिन्होंने अल्पसंख्यकों के खिलाफ असहिष्णुता का हवाला देकर राम मंदिर निर्माण का विरोध किया उन्हें पाकिस्तान जाना चाहिए और देखना चाहिए कि वहां पर कैसा लोकतंत्र है। सिंह ने दावा कि राम मंदिर मुद्दा तब ही सुलझ गया होता अगर सरदार वल्लभभाई पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री बने होते क्योंकि जवाहरलाल नेहरू ने वोट बैंक की राजनीति की खातिर इस मुद्दे को ‘जानबूझकर’ जिंदा रखा। हिंदूवादी राग अलापने के लिए पहचाने जाने वाले भाजपा नेता ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण भाजपा के लिए कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है लेकिन इसके बजाय सभी हिंदुओं के देश में रहने का एजेंडा है।
केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के लिए ‘छद्म धर्मनिरपेक्षों’ पर निशाना साधते हुए सिंह ने कहा कि जो देश में असहिष्णुता के बारे में चिल्ला रहे हैं वे असल में ‘‘असहिष्णुता का गिरोह’’ है जो देश को गंदा करने की कोशिश कर रहे हैं। सिंह ने पीटीआई- दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘चूंकि हम सहिष्णु हैं तो अन्य समुदाय इसका फायदा ले सकते हैं। कैसे भारत जैसे देश में जहां हिंदू बहुल है, उन्हें अपने देवताओं की प्रार्थना करने से रोका जा सकता है। अन्य समुदायों का हमें, हमारे देवताओं की प्रार्थना करने से रोकने का क्या अधिकार है? किसी भी चीज की अति खराब है लेकिन इससे हिंदुओं का धैर्य टूट सकता है। किसी को भी हिंदुओं के धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए।’
राम मंदिर निर्माण के विरोध के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्यमंत्री ने कहा, ‘भारत ऐसा लोकतंत्र है जिसका कोई भी विरोध कर सकता है। जो छद्म धर्मनिरपेक्ष है, वे इसका विरोध कर रहे हैं, जो जेएनयू में भारत के खिलाफ नारे लगा रहे थे, वे इसका विरोध कर रहे हैं। कुछ लोग असहिष्णुता की बात कर रहे हैं, उन्हें अपनी किस्मत को धन्यवाद देना चाहिए कि भारत एक हिंदू बहुल देश है। उन्हें पाकिस्तान जाना चाहिए और देखना चाहिए कि वहां किस तरह का लोकतंत्र है। उन्होंने देश की आबादी पर नियंत्रण लगाने के लिए सख्त नीतियों का भी आह्वान किया।
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